Tuesday, January 11, 2011

प्रेम से बोलें - राधे-राधे


  प्रेम से बोलें
राधे-राधे
हरेकृष्ण हरेकृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे!

हरेराम हरेराम राम राम हरे हरे      !!
!!मधुराष्टकं!!

अधरं मधुरं वदनं मधुरं - नयनं मधुरं हसितं मधुरम्!
हदयं मधुरं गमनं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं - वसनं मधुरं वलितं मधुरम्।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर:- पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं - भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम्।
रुपं मधुरं तिलकं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं - हरणं मधुरं रमणं मधुरम्। 
वमितं मधुरं शमितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गुन्जा मधुरा माला मधुरा - यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा - युक्तं मधुरं भुक्तं मधुरम्।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्॥ 
गोपा मधुरा गावो मधुरा - यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा। 
दलितं मधुरं फलितं मधुरं - मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्!!
॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्यकृतं मधुराष्टकं सम्पूर्णम् ॥
!! स्वीट राधिका राधे-राधे - तेरी वन्दगी से पहले मुझे कौन जानता था !!
प्रेम से बोलें राधे-राधे !!
shri radha-krishna swarup chintanam
shri radheshyam
 कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरि:! जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!! 
Radha is full of love for Krishna, and Hari (Krishna) is full of love for Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.  
कृष्णस्य द्रविणं राधा राधाया: द्रविणं हरि ! जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!! 
The essence of Krishna is Radha, and the essence of Radha is Krishna. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.  
कृष्णप्राणमयी राधा राधा प्राणमयो हरि ! जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!! 
Radha is the life of Krishna, and Krishna is the life of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.  
कृष्णद्रवामयी राधा राधा द्रवोमयो हरि: ! जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!! 
Radha is the sport of Krishna, and Krishna is the sport of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.  
कृष्णगेहे स्थिता राधा राधागेहे स्थितो हरि :! जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!! 
Radha is situated in the home of Krishna and krishna is situated in the home of radha . in the wealth like life may radha and kishna be the course of my soul jay-jay shri radhe-shyam
जय-जय श्यामा जय-जय श्याम जय-जय श्री वृन्दावन धाम

10 comments:

  1. राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    श्याम देखा - घनश्याम देखा !
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने मथुरा मैं देखा !
    बंसी बजाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने गोकुल मैं देखा !
    गैया चराते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने वृन्दावन मैं देखा !
    रास रचाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने गोवेर्धन मैं देखा !
    गोवेर्धन उठाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    राधा तेरा श्याम हमने सर्वजन मैं देखा !
    राधा राधा जपते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!
    राधा ढूंढ़ रही किसी ने मेरा श्याम देखा !!
    श्याम देखा - घनश्याम देखा !
    ओ बंसी बजाते हुए ओ राधा तेरा श्याम देखा !!

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  2. दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !

    मन मंदिर की ज्योत जगा दे , घट घट के वासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

    मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी !
    युग बीते ना आई मिलन की पूर्णमासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

    द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर मैं गूंगा बोले !
    अंधा देखे लंगडा चलकर पहुंचे कासी रे !!
    दर्शन दो घनश्याम नाथ, मेरी अंखिया प्यासी रे !!

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  3. ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    प्रेमवालों ने कब वक्त पूछा
    तेरे द्वारे पे आने को प्यारे !
    यहाँ पल-पल पे होती है पूजा
    सर झुकाने की फुर्सत नहीं है !1
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    जिसके दिल में बसे श्याम प्यारे
    वोह तो होते हैं जग से न्यारे !
    जिसकी नज़रों में प्रीतम बसे हैं
    वो नज़र फिर तरसती नहीं है !!
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!
    जो असल में हैं मस्ती में डूबे
    उनको परवाह नहीं है किसी की !
    जो उतरती और चढ़ती है मस्ती
    वोह हकीकत में मस्ती नहीं है !!
    ये तो प्रेम की बातें हैं उधौ
    वन्दगी तेरे बस की नहीं है !
    यहाँ सर दे के होते हैं सौदे
    आशिकी इतनी सस्ती नहीं है !!

    राधे-राधे

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  4. कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरि:!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is full of love for Krishna, and Hari (Krishna) is full of love for Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णस्य द्रविणं राधा राधाया: द्रविणं हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    The essence of Krishna is Radha, and the essence of Radha is Krishna. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णप्राणमयी राधा राधा प्राणमयो हरि !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the life of Krishna, and Krishna is the life of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णद्रवामयी राधा राधा द्रवोमयो हरि: !
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is the sport of Krishna, and Krishna is the sport of Radha. In the wealth like life, may Radha and Krishna be the course of my soul.

    कृष्णगेहे स्थिता राधा राधागेहे स्थितो हरि :!
    जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिमम :!!
    Radha is situated in the home of Krishna and krishna is situated in the home of radha . in the wealth like life may radha and kishna be the course of my soul
    jay-jay shri radhe-shyam

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  5. रघुनन्दन कृपा करी मिले रामचरित के गान ! प्रेम बढ्यो-श्रद्धा बढ़ी बनी श्रीजी सों पहिचान !!
    गावत रहूँ तुलसी सुधा सूरदास के बोल ! मीरा जी की भावना गिरधर-गिरधर तोल !!
    नाम स्मरण चैतन्य से सीखो कीर्तन रंग ! स्वामी श्री हरिदास को नित्य बिहार प्रसंग !!
    श्री हित हरिवंश की रीत में प्रीत प्रगट भई आय ! राधावल्लभ लाडिले मेरो मन तोकूँ ही ध्याय !!
    वृन्दावन में वास कर श्रीजी पदानुराग ! रसिकन संग वर्णन करूँ प्रियतम प्रीति भाग !!
    "स्वीटी राधिका"प्रमुदित सदा भक्ति-भक्त संयोग ! भगवंतहु सम्मुख सदा श्रीजी कृपा के योग !!

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  6. हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण की हाला
    ऐसी हाला पी पी करके, चला चले मतवाला
    राधा जैसी बाला और वृन्दावन का ग्वाला
    ऐसा ग्वाला मुरली मनोहर जपो कृष्ण की माला

    हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण ..........

    हरे कृष्ण का जप हो और हरे कृष्ण की माला
    देव ज्योती से ह्रदय शुद्ध हो, नीकले मन की ज्वाला
    हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण ..........

    कृष्ण की धुन मैं तन हो, और हरे कृष्ण मैं मन हो
    ऐसे तन मन के मन्दिर मैं, कृष्ण डाले हाला
    हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण ..........

    हरेकृष्ण मैं बल हैं, कृष्ण जल और थल है
    ऐसे जल थल नभ से पी लो, नारायण की हाला
    हरी नाम का प्याला हरे कृष्ण ......

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  7. राधा ऐसी भयी श्याम की दीवानी,
    की बृज की कहानी हो गयी
    एक भोली भाली गौण की ग्वालीन ,
    तो पंडितों की वानी हो गई

    राधा न होती तो वृन्दावन भी न होता
    कान्हा तो होते बंसी भी होती,
    बंसी मैं प्राण न होते
    प्रेम की भाषा जानता न कोई

    कनैया को योगी मानता न कोई
    बीन परिणय के देख प्रेम की पुजारीन
    कान्हा की पटरानी हो गयी

    राधा ऐसी भाई श्याम की

    राधा की पायल न बजती तो मोहन ऐसा न रास रचाते
    नीन्दीयाँ चुराकर , मधुवन बुलाकर
    अंगुली पे कीसको नचाते
    क्या ऐसी कुश्बू चन्दन मैं होती
    क्या ऐसी मीश्री माखन मैं होती
    थोडा सा माखन खिलाकर वोह ग्वालिन
    अन्नपुर्ना सी दानी हो गयी
    राधा ऐसी भाई श्याम की..........

    राधा न होती तो कुंज गली भी
    ऐसी निराली न होती
    राधा के नैना न रोते तो
    जमुना ऐसी काली न होती
    सावन तो होता जुले न होते
    राधा के संग नटवर जुले ना होते
    सारा जीवन लूटन के वोह भीखारन
    धनिकों की राजधानी हो गयी
    राधा ऐसी भाई श्याम की..........
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  8. मैया मोरी, मैं नही माखन खायो

    भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहि पठायो ।
    चार पहर वंशीवट भटक्यो, सांझ परे घर आयो ॥
    ॥ मैया मोरी .......... १ ॥

    मैं बालक बहियन को छोटो, छींको किहि विधि पायो .
    ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ..
    ॥ मैया मोरी .......... २ ॥

    तू जननी मन की अति भोली, इनके कहे पतियायो .
    यह ले अपनी लकुटि कम्बलिया, तुने बहुतहि नाच नचायो .
    जिय तेते कछु भेद उपजिहै , जानि परायो जायो ..
    "सूरदास" तब हँसी यशोदा, लै उर-कंठ लगायो ..
    ॥ मैया मोरी ..........

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  9. कस्तूरी तिलकं ललाट पटले वक्ष्स्थले कौस्तुभं !
    नासाग्रेवर मौक्तिकं करतले वेणु करे कंकणं !!
    सर्वांगे हरी चन्दनं कलयन्कंठे च मुक्तावलिं !
    गोपस्त्री परिवेस्टितो विजयते गोपाल चूढामणि !!
    फुल्लेंदिवरकान्तिमिंदु वदनं बरहावतंस प्रियं !
    श्रीवत्सांक मुदार कौस्तुभधरम पीताम्बरं सुंदरम !!
    गोपीनाम नयनो पलार्चित तनुं गो गोप संघावृतं !
    गोविन्दम कल वेणु वादन परं दिव्यांग भूषम भजे !!

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