Friday, May 27, 2011

जय गौ माता - जो बोले सो विजय -सत्य सनातन धर्म की जय


!!!۞!!! ॥ जय गौ माता ॥ !!!۞!!!
गौमाता वास्तव में माँ समान है । इनकी रक्षा करना हम सबका दायित्व है । 
आइये प्रण लें कि हम भारत की धरा पर किसी गौ की हत्या होते नहीं देखेंगे और न किसी को करने देंगे ।

श्रीराधे ब्रजमंडल करे पुकार ! लाडिली गैया - मैया की सुनलो पुकार !! 
कान्ह के संग जिन प्रीति बढाई ! उनको मारें दुष्ट कसाई !! 
जिनके तन सव देव बसे हैं ! काटें दुष्ट उन्हें धिक्कार !!
 !!श्री राधे सुनलो भक्त पुकार !!
 जिनके मूत्र गंगा जल धारा ! गोबर भी है पवित्र निराला !! 
उन्हें काटें दुष्ट मक्कार !! श्री राधे गो जन करें पुकार !!
 रक्षा करो स्वामिनी प्यारी ! ये ही है विनती हमारी ! 
गिर जाय दुष्ट सरकार !! श्री राधे मिट जाय गौ अत्याचार !!
!!हरेकृष्ण !! 
!!जय गौ माता !!
कायरता बन स्वाभाव भारत में  
छाई घोर निराशा है  !
लालच तृष्णा डुबा रहे पुनि  
न कोई सच्ची आशा है  !!
यदि देर हुई तो घिर जायेंगे 
सदियों पूर्व गुलामी में  !
लूटेंगे -काटेंगे  हमको 
तुर्क -अफगान  कहानी  में  !!
फिर  से  भारत  माँ  पर  विट्रिश  
जैसी  सत्ता  आएगी !
पाकिस्तान  की  तरह  से 
टुकड़े  देश  कराएगी  !!

जो बोले सो  विजय  -सत्य सनातन धर्म   की जय

धर्म न दूसर सत्य समाना 
और परोपकार भक्तों की रीती है यथा श्री मद रामचरितमानस के आधार पर  "निज परिताप द्रवहि नवनीता ! पर दुःख द्रवहि संत सुपनीता !!
संत जन "जो सहि दुःख पर छिद्र दुरावा " अतः परहित भाव के आगे भगवद भजन गौण नहीं है अपितु सभी भक्ति मार्गियों में सहज ही परोपकार होता है ! केवल परोपकार भी झंझटकारी है क्योंकि श्री मद भगवद गीता के अनुसार सभी शुभ-अशुभ कर्मों अर्थार्त पुन्य-पाप सभी का फल भोगना पड़ता है ! फल प्राप्ति हेतु पुनरपि जन्म लेना ही पड़ता है ! जबकि भक्त अपने सभी पुण्यों को श्री कृष्णार्पण कर निष्काम भाव से भगवद प्रीति में रत रहता है  ! और मित्रो संसार में केवल एक मात्र सनातन धर्म ही धर्म है ! शेष सब मिथ्या आडम्बर है ,, अन्य सभी कथित धर्म व्यक्तिवादी हैं वहां स्वर्ग सुख ही सर्वोपरी है !जबकि सनातन धारा ब्रह्म-वादी, भगवद प्रेम प्रदायी है यहाँ "स्वर्गहु लाभ अ;प सुख दाई है" ईश्वर से मिलन ही जहाँ सर्वोपरि सिद्धांत है ! सनातन धर्म मुक्ति कांक्षी है जबकि अन्यान्य भ्रम प्रदायी -बंधन कारक है  ! सनातन धर्म सत्य है और सत्य का कभी अभाव नहीं होता " नासते विध्यते भावो-ना भावो विध्यते सतः "  सनातन धर्म सृष्टि के पूर्व भी था ..सृष्टि के समय भी है तथा आगे सृष्टि के उपरांत भी रहेगा ... और मित्रो सत्य के अलावा कुछ और का असतित्व ही नहीं तो कोई और कैसे धर्म हो सकता है ! भगवान कृष्ण के अनुसार श्री मद भगवद गीता में वर्णित अन्य धर्म केवल वर्णाश्रम-देश-काल आधारित कर्म हैं ! यदि कोई अन्य किसी धर्म में विश्वास रखता है तो वह भगवद गीता के विरुद्ध है ! अतः अन अनुकरणीय है ! मेरा सुझाव है कि सर्व धर्म सम्मलेन के बजाय सनातन धर्म सम्मलेन कहना अधिक उचित है ! अतः कृपया हिंदुत्व-सनातन धर्म के महत्वा को समझें ! और रही बात अन्य सभी धर्मों के मिथ्या सिद्ध करने की तो मित्रो हिंदुत्व  के अलावा अन्य सभी छद्म धर्म पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखते और पुनर्जन्म स्रष्टि का अकाट्य सत्य है जिसे विज्ञानं भी समझने की कोशिश में है ! अतः अन्य सभी धर्मों को हम केवल एक ही धारणा पुनर्जन्म धारणा से झूंठ सिद्ध कर देते हैं ! जय-जय श्री राधेश्याम - जय सियाराम -हर-हर महादेव     
जो बोले सो  विजय  -सत्य सनातन धर्म   की जय

1 comment:

  1. To save our Gou-mata.
    Not only for a Hindu religion, for every religious people should have to accept that Cow is our Mother.

    * who gives us milk is like our mother. So within the relationship with a Cow & a people like a mother & her Child.

    * Also "Upaniseda" says there are 7 mothers ;

    1.Adi Mata : The Original Mother
    2.Guru Patni : The Wife of Master
    3.Brahmani : The Wife of Priest
    4.Rajapatrika : The Wife of the King,The Queen
    5.Dhenu : The Cow
    6.Dhatri : The Nurse
    7.Prithibi : The Earth

    All these 7 are our mothers.
    So we should have to accept it & help me to Spread it.

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